Monday, 11 June 2012

Mushroom Farming by Rural unemployed youth in india

मशरूम ग्रामीण युवाओं का अपना रोजगार


मशरूम का उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है। मशरूम सेहत का रखवाला है, इसलिए मांग बढ़ रही है, पर आपूर्ति उतनी नहीं हो रही। ऐसे में यह व्यवसाय फायदे का सौदा है। कैसे, बता रहे हैं शैलेंद्र नेगी
स्वरोजगार आज आजीविका कमाने का प्रमुख साधन बन चुका है। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, लगातार स्वरोजगार को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर बल दे रही हैं। इन्हीं स्वरोजगार योजनाओं में मशरूम उत्पादन भी एक है। इसे गांवों में छतरी व कुकुरमुत्ता आदि नामों से जाना जाता है। इसका उत्पादन ग्रामीण युवाओं के लिए एक अच्छा व्यवसाय साबित हो रहा है। डॉक्टर और डाइटीशियन मोटापा, हार्ट-डिजीज और डायबिटीज के रोगियों को इसका सेवन करने की सलाह देते हैं। इसका चलन निरंतर बढ़ता जा रहा है।
भारत में मशरूम की मांग में इजाफा हो रहा है। इसे देखते हुए मशरूम के बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता है। वैसे तो मशरूम के उत्पादन में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन जितनी मांग है, उसे देखते हुए वह बहुत कम है। हालांकि अब गांव ही नहीं, शहरों में भी शिक्षित युवा मशरूम उत्पादन को करियर के रूप में अपनाने लगे हैं।
मशरूम की खेती को छोटी जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता है और लागत की तुलना में मुनाफा कई गुना ज्यादा होता है। बेरोजगार युवकों के लिए स्वरोजगार के नजरिए से भी यह सेक्टर फायदेमंद साबित हो सकता है।
क्या है मशरूम
मशरूम एक पौष्टिक आहार है। इसमें एमीनो एसिड, खनिज, लवण, विटामिन जैसे पौष्टिक तत्व होते हैं। मशरूम हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए एक दवा की तरह काम करता है। मशरूम में फॉलिक एसिड और लावणिक तत्व पाए जाते हैं, जो खून में रेड सेल्स बनाते हैं। पहले मशरूम का सेवन विश्व के चुनिन्दा देशों तक सीमित था, पर अब आम आदमी की रसोई में भी उसने अपनी जगह बना ली है। भारत में उगने वाले मशरूम की दो सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रजातियां वाइट बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम है। हमारे देश में होने वाले वाइट बटन मशरूम का ज्यादातर उत्पादन मौसमी है। इसकी खेती परम्परागत तरीके से की जाती है।
कहां पैदा हो सकता है मशरूम
मशरूम उत्पादन में मौसम का खास महत्व है, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मशरूम की एक वैराइटी वॉल वैरियल्ला के लिए तापमान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस व नमी 80 से ज्यादा होनी चाहिए। इसका उत्पादन अप्रैल से अक्तूबर के बीच किया जाता है। ऑयस्टर मशरूम के लिए तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तथा नमी 80 फीसदी से अधिक होनी चाहिए। इसके उत्पादन के लिए सितम्बर-अक्तूबर का महीना बेहतर माना जाता है। टेम्परेंट मशरूम के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान व 70 से 90 फीसदी नमी जरूरी है। इसका उत्पादन अक्तूबर से फरवरी के बीच ठीक रहता है।
कितने दिन में तैयार हो जाता है मशरूम 
मशरूम दो से तीन महीनों में कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। मशरूम रेफ्रिजेरेटर में 3 से 6 दिनों तक ताजा बना रहता है। सामान्यत: एक बार में दो से तीन बड़ी पैदावार ली जा सकती हैं।
कमाल का मशरूम
मशरूम से तरह-तरह के व्यंजन तैयार किए जा सकते हैं। मशरूम के प्रोडक्ट बना कर उनको बेचना एक अच्छा व्यवसाय हो सकता है। मशरूम पाउडर, मशरूम पापड़ और मशरूम का अचार तैयार करने का काम कुटीर उद्योग स्तर पर किया जा सकता है। मशरूम सैंडविच, मशरूम चावल, मशरूम सूप और मशरूम करी जैसे आइटम बाजार में पहले से ही काफी पॉपुलर हैं। भारतीय बागबानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरू ने  नारंगी रंग का खूबसूरत मशरूम पैदा करने की तकनीक विकसित की है, जो पुष्प प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। फार्मास्युटिकल कंपनियों में भी मशरूम की मांग की जाने लगी है। खाने योग्य मशरूम की करीब दो हजार किस्मों में से 280 भारत में पैदा होती हैं। गुच्छी किस्म का मशरूम भारत में सबसे ज्यादा पैदा किया जाता है। घरेलू उपभोग की बजाय इसका एक बड़ा हिस्सा विदेशों में निर्यात किया जाता है।
फैक्ट फाइल
शैक्षिक योग्यता
आमतौर पर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए शैक्षिक ज्ञान और आयु सीमा संबंधी कोई बाध्यता नहीं होती, लेकिन मशरूम की खेती बड़े वैज्ञानिक तरीके से की जाती है, इसलिए तकनीकी पहलुओं को समझने के लिए अगर आप आठवीं या दसवीं पास हैं तो बेहतर होगा।
पाठय़क्रम का स्वरूप
मशरूम उत्पादन में रुचि लेने वाले उम्मीदवारों के लिए देशभर के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों व कृषि अनुसंधान केंद्रों में एक से दो हफ्ते और मासिक अवधि के कोर्स संचालित किए जाते हैं।
इन पाठय़क्रमों का उद्देश्य मशरूम उत्पादन की तकनीक व बीजों की अच्छी नस्ल से रू-ब-रू कराना है। मशरूम का उत्पादन शुरू करने से पहले तकनीकी जानकारी हासिल करना बहुत जरूरी है। तकनीकी हुनर से ही अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। मशरूम के लिए मौसम का विशेष ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि इसके उत्पादन में उचित तापमान और मौसम का खास महत्व होता है।
सरकारी सहायता
मशरूम उत्पादन स्वरोजगार के लिहाज से अच्छा माना जा रहा है। यह काम कम पूंजी और छोटी जगह पर भी हो सकता है। सरकार कृषि से संबंधित इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाने वाले उम्मीदवारों को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा पांच लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा एससी/एसटी उम्मीदवारों को सरकारी ऋण में राहत की भी व्यवस्था है।
संस्थान
जीबी पंत युनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंत नगर, उत्तराखंड
वेबसाइट: www.gbpuat.ac.in
पादप रोग संभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली
वेबसाइट: www.iari.res.in
आणंद एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी, आणंद, गुजरात
वेबसाइट: www.aau.in
राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर, बिहार,
वेबसाइट: www.pusavarsity.org.in
राष्ट्रीय खुंब अनुसंधान केंद्र, चम्बाघाट, सोलन, हिमाचल प्रदेश
हिसार कृषि अनुसंधान, हिसार, हरियाणा
इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीटय़ूट, इलाहाबाद, यूपी
कमाई की संभावनाएं
सामान्य तकनीक से मशरूम का उत्पादन करने वालों की तुलना में आधुनिक एवं ट्रेंड लोग कई गुना अधिक मशरूम का उत्पादन कर लेते हैं। हर हफ्ते कम से कम पांच से दस हजार रुपये तक कमा लेते हैं। उत्पादन की अधिकता सीधे-सीधे आय को कई गुना तक बढ़ा देती है। देश में मशरूम की बढ़ती डिमांड को तभी पूरा किया जा सकता है, जब इसकी पैदावार में तीव्र गति से इजाफा किया जाए।
एक्सपर्ट व्यू
घर में ही कर सकती हैं महिलाएं मशरूम की खेती
डॉ. नरेंद्र मोहन
हैड बॉटनी विभाग
डीएवी कॉलेज, कानपुर
मशरूम की सफलतापूर्वक खेती करते हुए आप कई और जरूरतमंदों को भी रोजगार दे सकते हैं। वास्तव में यह एक ऐसा काम है, जिसमें पूरे परिवार को घर बैठे रोजगार मिल जाता है। मशरूम की खेती करने के लिए बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा होना जरूरी नहीं है। कोई भी व्यक्ति, जिसकी कृषि के बारे में सामान्य समझ है, वह मशरूम की खेती कर सकता है। इसके लिए बहुत बड़ी जमीन और इन्वेस्टमेंट की जरूरत नहीं है। अगर आपके पास दस से पन्द्रह हजार रुपए हैं तो आप मशरूम की खेती कर सकते हैं।
मशरूम पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी घर बैठे आय अर्जित करने का मौका देता है। अब घरेलू स्तर पर मशरूम पैदा करने की ऐसी तकनीक विकसित हो चुकी है, जिससे एक वर्ग फुट क्षेत्र में 5.5 फुट की ऊंचाई तक 1.5 से 2 किलोग्राम तक मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है। इसे घर के नमी वाले कोने में उगाया जा सकता है। महिलाएं इसे किचन गार्डन के रूप में अपना सकती हैं। घर में ही मशरूम की खेती करना महिलाओं की कार्यशैली के अनुकूल है। आप्वा चाहें तो मशरूम उत्पादन सम्बन्धी प्रशिक्षण भी ले सकते हैं। अनेक कृषि विश्वविद्यालय और राज्य सरकारों के बागबानी विभाग इस तरह के कार्यक्रम मुफ्त में संचालित कर रहे हैं।  अगर आप थोड़ा पढ़े-लिखे हैं तो बाजार में मशरूम की खेती के लिए किताबें भी उपलब्ध हैं, जिनसे आपको काफी सहायता मिल जाएगी।
सक्सेस स्टोरी
मशरूम मेरे लिए सोने-चांदी से कम नहीं
कंचन सिंह
कृषक, नैनीताल
मशरूम मेरे लिए सोने-चांदी से कम नहीं है। मैंने कई तरह की खेती में हाथ आजमाया, लेकिन उतनी सफलता नहीं मिली। लेकिन जब से मैंने मशरूम की खेती की है, तब से मैं काफी फायदे में हूं। शुरुआत में मशरूम की खेती को समझने में बड़ी दिक्कतें पेश आईं। मशरूम की खेती करने का फैसला आसान नहीं था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और 500 रुपये से मशरूम की खेती शुरू की। मेरे पास जमीन भी ज्यादा नहीं थी, इसलिए खेती से गुजर-बसर नहीं हो रहा था।
मशरूम की खेती के लिए मौसम की समझ होना जरूरी है। मैंने मशरूम के बारे में कभी सुना भी नहीं था। हमें बताया गया था कि भारत के बड़े शहरों और विदेशों में भी इसकी काफी मांग है। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न मशरूम में ही हाथ आजमाया जाए। शहर के करीब होने के कारण मशरूम को बेचने में ज्यादा दिक्कतें नहीं आतीं। बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। सर्दियों में 60-80 रुपये प्रति किलो, जबकि गर्मियों के मौसम में पैदा की जाने वाली किस्म की कीमत 100-150 रुपये प्रति किलो रहती है। मुझे प्रत्येक पैदावार से करीब 20 से 25 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है। मशरूम की खेती में सफाई का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। शाकाहारी परिवारों की प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रोटीन से भरपूर मशरूम की खेती घर में बहुत आसानी के साथ की जा सकती है।

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