Tuesday 17 April 2012

हमारे किसानों ने पकड़ी हाईटेक राह

हरियाणा के किसान परंपरागत खेती छोड़कर व्यावसायिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इसकी कई वजहें हैं। पहला तो उत्पाद लेकर मंडियों के चक्कर नहीं काटने पड़ते, दूसरा अधिक मुनाफे के साथ सम्मान भी मिल रहा है।

फसलचक्र अपनाने से खेतों की उर्वरा शक्ति भी कायम रहती है। अहम बात यह है कि कम जगह में अच्छी पैदावार होती है और फसल बेचने के बाद किसानों को तत्काल पैसा मिल जाता है। और भी कई कारण हैं जिसकी वजह से किसान इस व्यावसायिक खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

इनमें कर्ज लेकर खेती करने वाले तथा वैसे किसान भी शामिल हैं जिन्हें अपने फसल की पूरी कीमत भी नहीं मिल पाती। कुछ ऐसे भी हैं जो परंपरागत खेती से ऊब चुके हैं। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि आज का किसान ‘प्रोग्रेसिव किसान’ बन गया है।

घटती जमीन और बढ़ती मांग के चलते फसल चक्र अपनाकर किसान अब हाइब्रिड फसल उगा रहे हैं। ये कम भूमि में अधिक मुनाफा लेने के लिए बेबी कोर्न, ब्रोकली, बटन मशरूम, मिल्की मशरूम, ढिगड़ी आदि फसल उगा रहे हैं।

ऑर्गेनिक खेती से पैसा और सम्मान

परंपरागत खेती व लगातार घाटे से ऊब चुके राई (सोनीपत) के किसान एडवोकेट कंवल सिंह चौहान को ऑर्गेनिक और व्यावसायिक खेती ने सम्मान, शोहरत के साथ पैसा भी दिया। जिला स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित चौहान कहते हैं ‘ऑर्गेनिक व व्यावसायिक खेती ने मेरी तकदीर बदल दी।’ खेतों में बढ़ते रासायनिक खाद के प्रयोग और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभाव ने ही उन्हें इस ओर आकर्षित किया।

1997 से व्यावसायिक खेती कर रहे चौहान ने ऑर्गेनिक खेती में खादी ग्रामोद्योग से २क्क्२ में प्रशिक्षण लिया

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